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हिंदुत्व का दर्शन / हिंदुत्व का दर्शन क्या है ? - भीमराव आम्बेडकर

नारी और प्रतिक्रांति- भीमराव आंबेडकर

मनु के समय से पूर्व नारी की जो स्थिति थी, उससे इसकी तुलना तो कीजिए। अथर्ववेद से यह स्पष्ट है कि नारी को अपने उपनयन का अधिकार प्राप्त था। कहा गया है कि नारी ब्रह्मचर्य की अवस्था पूरी करने के बाद विवाह के योग्य हो जाती है। श्रौत सूत्र से यह स्पष्ट है कि नारी वेद मंत्रों का अनुपाठ कर सकती थी और उसे वेदों का अध्ययन करने के लिए शिक्षा दी जाती थी। पाणिनि की अष्टाध्यायी से इस बात के भी प्रमाण मिलते हैं कि नारियाँ गुरुकुलों में जाती थी और वेदों की विभिन्न शाखाओं का अध्ययन करती थीं और वे मीमांसा में प्रवीण होती थीं। पतंजति के महाभाष्य का कहना है कि नारियाँ शिक्षक होती थीं और बालिकाओं को वेदों का अध्ययन कराती थीं। धर्म, अध्यात्म और तत्व मीमांसा के कठिन से कठिन विषयों पर पुरुषों के साथ नारियों के शास्त्रार्थ करने के प्रसंग भी कम नहीं मिलेंगे। जनक और सुलभ, याज्ञवल्य और गार्गी, याज्ञवल्क्य और मैत्रेयी तथा शंकराचार्य और विद्याधरी के बीच शास्त्रार्थ की घटनाओं से यह स्पष्ट होता है कि मनु के पूर्व नारियाँ शिक्षा और ज्ञान के उच्च शिखर पर पहुँच चुकी थीं