Dr. B.R. Ambedkar Views On Caste

जातिप्रथा का अभिशाप- डॉ. भीमराव आम्बेडकर

ArticleCasteCaste SystemCastes In IndiaDr.AmbedkarHindiWhat Is Caste

Dr. B.R. Ambedkar Views On Caste

जैसा कि मैं प्रथम निबंध (‘भारत में जातिप्रथा) में बता चुका हूं, कोई जाति एकल संख्या में नहीं हो सकती। जाति केवल बहुसंख्या में ही जिंदा रह सकती है। वास्तव में तो जाति समूह का विखंडन करके ही बनी रह सकती है। जाति की प्रकृति ही विखंडन और विभाजन करना है। जाति का यह अभिशाप भी है, लेकिन फिर भी कुछ लोग ही जानते हैं कि जाति का यह अभिशाप कितना बड़ा है।

अतः यह आवश्यक है कि जाति द्वारा किए गए विखंडन की चर्चा करके इस अभिशाप की व्यापकता को दर्शाया जाए। यह तो असंभव है कि हर जाति की चर्चा की जाए और उसके विखंडन के क्रमिक प्रसार को दर्शाया जाए। किसी एक जाति के जातीय इतिहास को प्रस्तुत करके ही हमें संतोष करना पड़ेगा। मैं ब्राह्मणों के इतिहास को ही लेता हूं। वे तो जातिप्रथा के प्रवर्तक और पक्षधर रहे हैं। इससे पता चल जाएगा कि वे स्वयं भी जाति के इस कथित अभिशाप से कितने अधिक ग्रस्त व त्रस्त हैं। भारत के ब्राह्मण भी दो अलग-अलग बिरादरियों में बंटे हुए हैं। एक बिरादरी द्रविड़ों की है, तो दूसरी गौड़ों की।

लेकिन भूलकर भी ऐसी कल्पना नहीं करनी चाहिए कि द्रविड़ों और गौड़ों की एकल समजातीय ईकाइयां हैं, वे अनगिनत ईकाइयों में विभाजित और उप-विभाजित हैं। उनकी संख्या का अनुमान तो तभी लगाया जा सकता है, जब उनके उप-विभाजनों की वास्तविक सूचियां हमारी आंखो के सामने हों। आगे के पृष्ठों में एक सूची प्रस्तुत करने का प्रयास किया गया है, ताकि पता चल सके कि बिरादरी की हर उप-शाखा कितनी जातियों और उप-जातियों में बंटी हुई है।

द्रविड़ ब्राह्मण

द्रविड़ बिरादरी की पांच उप-शाखाएं हैं। उन्हें सामूहिक रूप से पंच द्रविड़ कहा जाता है। उनकी पांच उप-शाखाएं हैं

(1) महाराष्ट्रीय,
(2) आंध्र के ब्राह्मण,
(3) द्रविड़ (मूल) ब्राह्मण,
(4) कर्नाटक के ब्राह्मण और
(5) गुर्जर।

अब हम देखेंगे कि पंच-द्रविड़ों की प्रत्येक उप-शाखा का कितनी जातियों और उप-जातियों में विखण्डन हो गया है।

1 . महाराष्ट्रीय ब्राह्मण

महाराष्ट्रीय ब्राह्मणों की निम्नलिखित जातियां और उपजातियां हैं –

(1) देशस्थ, (2) कोकणस्थ , (3) कर्हद, (4) कण्व, (5) मध्यन्दिन, (6) पाढ्य, (7)देवरुख, (8) पलाश, (9) किरवंत, (10) तिर्गुल, (11) जवाल, (12)अभीर, (13) सावंश, (14) कस्त, (15) कुंडा गोलक, (16) रंडा गोलक, (17) ब्राह्मण-जाइस, (18) सोपार, (19) खिसती, (20)हुसैनी, (21) कलंकी, (22) मैत्रायानी, (23) वरदी-मध्यन्दिन यजुर्वेदी, (24) वरदी-मध्यन्दिन ऋग्वेदी और (25) झाड़े।

शनवियों का नौ और उप-जातियों में विभाजन हो गया है-

(26) नर्वन्कर, (27) किलोस्कर, (28) बर्देश्कर, (29) कुदालदेष्कर, (30) पेडनेकर, (31)भालवेलेकर, (32)कुशस्थली, (33)खडापे और (34) खाजुले।

2 . आंध्र के ब्राह्मण

आंध्र के ब्राह्मणों की निम्नलिखित जातियां और उप-जातियां हैं –

(1) वर्णासालू, (2) कमारुकुबी, (3) कराणाकामुल, (4) मध्यन्दिन, (5) तैलंग, (6)मुराकानाडू, (7) आराध्य, (8) याज्ञवल्क्य, (9) कसारानाडू, (10) वेलंडू, (11) वेन्गिनाडू, (12) वेडिनाडू, (13) सामवेदी, (14) रामानुजी, (15) मध्यावाचारी और (16) नियोगी।

3 . तमिल ब्राह्मण

उनकी निम्नलिखित जातियां हैं –

(1) ऋग्वेदी, (2) कृष्ण यजुर्वेदी, (3) शुक्ल यजुर्वेदी मध्यन्दिन, (4) शुक्ल यजुर्वेदी कण्व, (5) सामवेदी, (6) अथर्व, (7) वैष्णव, (8) वीर वैष्णव, (9) श्री वैष्णव, (10) भागवत और (11) शक्त।

4 . कर्नाटक के ब्राह्मण

उनकी निम्नलिखित जातियां हैं –

(1) ऋग्वेदी, (2) कृष्ण चतुर्वेदी, (3) शुक्ल यजुर्वेदी मध्यन्दिन, (4) शुक्ल चजुर्वेदी कण्व, (5) सामवेदी, (6) कुमे ब्राह्मण, और (7) नागर ब्राह्मण।

5 . गुर्जर ब्राह्मण

गुर्जर ब्राह्मणों की निम्नलिखित जातियां हैं –

1. आन्दीच्य ब्राह्मण। इनकी निम्नलिखित उप-जातियां हैं –
(1) सिद्धपुर आन्दीच्य, (2) सिहोर आन्दीच्य, (3) तोलकिया आन्दीच्य, (4) कुन्बीगोर, (5) इनोंचिगोर, (6)दार्जिगोर, (7)ग्रांध्रापगोर, (8) कोलिगोर, (9) मारवाड़ी आन्दीच्य, (10)काच्ची आन्दीच्य, (11) वाग्दीय आन्दीच्य।

2. नागर ब्राह्मण। नागर ब्राह्मणों की निम्नलिखित उप-जातियां हैं –
(12) वडानगर ब्राह्मण, (13) विशालनगर ब्राह्मण, (14) सतोदरा ब्राह्मण, (15) प्रश्नोरा, (16) कृष्णोरा, (17) चित्रोदा, (18) बारादा।

नागर ब्राह्मणों की तीन अन्य शाखाएं भी हैं, वे हैं –

(19) गुजराती नागर, (20) सोरठी नागर और (21) अन्य नगरों के नागर।

3. गिरनार ब्राह्मण। इनकी निम्नलिखित जातियां हैं –

(22) जूनागढ़ैया गिरनार, (23) चौरवाड गिरनार, (24) आजकिया।

4. मेवादास ब्राह्मण। इनकी निम्नलिखित जातियां हैं –

(25) भट्ट मेवादास, (26) त्रिवेदी मेवादास, (27) चरोसी मेवादास

5. देशवाल ब्राह्मण। उनकी एक उप-जाति है, जिसका नाम हैं –

(46) देशवाल ब्राह्मण सुरति।

6. रयाकावाल ब्राह्मण। उनकी दो उप-जातियां हैं –

(47) नवा (नए), और (48) मोठा (पुराने)

7. खेडवाल ब्राह्मण। उनकी पांच उप-जातियां हैं –
49) खेडवाल वाज, (50) खेडवाल भितर, (51) खेडववाज, (52) खेडव भितर।

8. मोढा ब्राह्मण। उनकी ग्यारह उप-जातियां हैं –
(53) त्रिवेदी मोढा, (54) चतुर्वेदी मोढा, (55) अगिहंस मोढा, (56)त्रिपाल मोढा, (57) खिजादिया सनवन मोढा, (58) एकादशध्र मोढा, (59) तुदुलोता मोढा, (60) उतंजलीय मोढा, (61) जेठीमल मोढा, (62) चतुर्वेदी धिनोजा मोढा, (63) धिनोजा मोढा।

9. श्रीमाली ब्राह्मण। श्रीमाली ब्राह्मणों की निम्नलिखित जातियां हैं –
(64) मारवाड़ी श्रीमाली, (65) मेवाड़ी श्रीमाली, (66) काच्छी श्रीमाली, (67) काठियावाड़ी श्रीमाली, (68) गुजराती श्रीमाली।
निम्नलिखित में गुजराती श्रीमाली का और उप-विभाजन हो गया है-
(69)अहमदाबादी श्रीमाली (70) सूरती श्रीमाली, (71) घोघारी श्रीमाली, और (72) खम्बाती श्रीमाली। खम्बाती श्रीमाली का पुनः इस प्रकार उप-विभाजन हुआ है : (73) यजुर्वेदी खम्बाती श्रीमाली, (74) सामवेदी खम्बाती श्रीमाली।

10. चौविशा ब्राह्मण। उनकी दो उप-जातियां हैं –
(75) मोटा (बड़े), और (76) लहना (छोटे)।

11. सारस्वत ब्राह्मण। उनकी दो उप-जातियां हैं –
(77) सोरठिया सारस्वत और (78) सिंधव सारस्वत।

12. गुजराती ब्राह्मणों की निम्नलिखित जातियां हैं, पर उनकी उप-जातियां नहीं हैं –
(79) सचोरा ब्राह्मण, (80) उदम्बरा ब्राह्मण, (81) नरसीपारा ब्राह्मण, (82) बलादरा ब्राह्मण, (83) पंगोरा ब्राह्मण, (84) नंदोदरा ब्राह्मण, (85) वयादा ब्राह्मण, (86) तमिल (अथवा द्रविड़) ब्राह्मण, (87) रोढ़ावाल ब्राह्मण, (88) पदमीवाल ब्राह्मण, (89) गोमतीवाल ब्राह्मण, (90) इतावला ब्राह्मण, (91) मेधातवाल ब्राह्मण, (92) गयावाल ब्राह्मण, (93) अगस्त्यवाल ब्राह्मण, (94) प्रेतावाल ब्राह्मण, (95) उनेवाल ब्राह्मण, (96) राजावाल ब्राह्मण, (97) कनौजिया ब्राह्मण, (98) सरवरिया ब्राह्मण, (99) कनोलिया ब्राह्मण, (100) खरखेलिया ब्राह्मण, (101) परवलिया ब्राह्मण, (102) सोरठिया ब्राह्मण, (103) तंगमाडिया ब्राह्मण, (104) सनोदिया ब्राह्मण, (105) मोताल ब्राह्मण, (106)झलोरा ब्राह्मण, (107) रयापुला ब्राह्मण, (108) कपिल ब्राह्मण, (109) अक्षयमंगल ब्राह्मण, (110) गुगली ब्राह्मण, (111) नपाला ब्राह्मण, (112) अनावला ब्राह्मण, (113) वाल्मीकि ब्राह्मण, (114) कलिंग ब्राह्मण, (115) तैलंग ब्राह्मण, (116) भार्गव ब्राह्मण, (117) मालवी ब्राह्मण, (118) बांदआ ब्राह्मण, (119) भारतन ब्राह्मण, (120) पुष्करण ब्राह्मण, (121) खदायता ब्राह्मण, (122) मारू ब्राह्मण, (123) दाहिया ब्राह्मण, (124) जोविसा ब्राह्मण, (125) जम्बू ब्राह्मण, (126)मराठा ब्राह्मण, (127) दधीचि ब्राह्मण, (128) ललता ब्राह्मण, (129) वलूत ब्राह्मण, (130) बोरशिध ब्राह्मण, (131) गोलवाल ब्राह्मण, (132) प्रयागवाल ब्राह्मण, (133) नायकवाल ब्राह्मण, (134) उत्कल ब्राह्मण, (135) पल्लिवाल ब्राह्मण, (136) मथुरा ब्राह्मण, (137) मैथिल ब्राह्मण, (138) कुलाभ ब्राह्मण, (139) बेदुआ ब्राह्मण, (140) रववाल ब्राह्मण, (141) दशहरा ब्राह्मण, (142) कर्नाटकी ब्राह्मण, (143) तलजिया ब्राह्मण, (144) परशरिया ब्राह्मण, (145) अभीर ब्राह्मण, (146) कुंडु ब्राह्मण, (147) हिरयजिया ब्राह्मण, (148) मस्तव ब्राह्मण, (149) स्थितिशा ब्राह्मण, (150) प्रेतादवाल ब्राह्मण, (151) रामपुरा ब्राह्मण, (152) जिल ब्राह्मण, (153) तिलोत्य ब्राह्मण, (154) दुरमल ब्राह्मण, (155) कोडव ब्राह्मण, (156) हनुशुना ब्राह्मण, (157) शेवाद ब्राह्मण, (158) तित्राग ब्राह्मण, (159) बसुलदास ब्राह्मण, (160) मगमार्य ब्राह्मण, (161) रयाथल ब्राह्मण, (162) चपिल ब्राह्मण, (163) बरादास ब्राह्मण, (164) भुकनिया ब्राह्मण, (165) गरोड ब्राह्मण और (166) तपोर्णा ब्राह्मण।

ALSO READ |   Representation Through Reservation - The system of reservation in INDIA

गौड़ ब्राह्मण

द्रविड़ ब्राह्मणों की भांति गौड़ ब्राह्मणों की भी एक बिरादरी है और उसमें पांच अलग-अलग समूहों के ब्राह्मण हैं। ये पांच समूह हैं –
(1) सारस्वत ब्राह्मण, (2) कान्यकुब्ज ब्राह्मण, (3) गौड़ ब्राह्मण, (4) उत्कल ब्राह्मण और (5) मैथिल ब्राह्मण।

पंच-गौड़ों के इन पांच में से प्रत्येक समूह के आंतरिक ढांचे को निरखने-परखने से पता चलता है कि उनकी स्थिति भी वैसी ही है, जैसी कि पंच-द्रविड़ों की बिरादरी के पांच समूहों की है। प्रश्न केवल इतना है कि पंच-द्रविड़ों में पाए जाने वाले आंतरिक विभाजनों और उप-विभाजनों से उनके ये विभाजन कम हैं या ज्यादा। इस प्रयोजन के लिए बेहतर होगा कि हर वर्ग पर अलग-अलग विचार किया जाए।
1 . सारस्वत ब्राह्मण
सारस्वत ब्राह्मण तीन क्षेत्रीय वर्गों के हैं –
(1) पंजाब के सारस्वत ब्राह्मण, (2) कश्मीर के सारस्वत ब्राह्मण और (3) सिंध के सारस्वत ब्राह्मण

पंजाब के सारस्वत ब्राह्मण

पंजाब के सारस्वतों के तीन उप-विभाजन हैं –
(क) लाहौर, अमृतसर, बटाला, गुरदासपुर, जालंधर, मुल्तान, झंग और शाहपुर जिलों के सारस्वत ब्राह्मण। पुनः वे उच्च जातियों और निम्न जातियों में बंटे हुए हैं।

उच्च जातियां

(1) नवले, (2) चुनी, (3) रवाड़े, (4) सरवलिए, (5) पंडित, (6) तिखे, (7) झिंगन, (8) कुमाडिए, (9) जेतले, (10) मोहले अथवा मोले, (11) तिखे-आंडे, (12) झिंगन-पिंगन, (13)जेतली-पेतली, (14) कुमाडिए लुमाडिए, (15) मोहले-बोहले, (16) बागे, (17) कपूरिए, (18) भटूरिए, (19) मलिए (20) कालिए, (21) सानडा, (22) पाठक, (23) कुराल, (24) भारद्वाजी, (25) जोशी, (26) शौरी, (27) तिवाड़ी, (28) मरूड, (29) दत्ता, (30) मुझाल, (31)छिब्बर, (32) बाली, (33) मोहना, (34) लादा, (35) वैद्य, (36) प्रभाकर, (37) शामे-पोतरे, (38) भोज-पोतरे, (39) सिंधे-पोतरे, (40) वात्ते-पोतरे, (41) धन्नान-पोतरे, (42) द्रावड़े, (43) गेंधार, (44) तख्त-ललाड़ी, (45) शामा दासी, (46) सेतपाल अथवा शेतपाल, (47) पुश्रात, (48) भारद्वाजी, (49) करपाले, (50) घोताके, (51) पुकरने।

निम्न जातियां

(52) डिड्डी, (53) श्रीधर, (54) विनायक, (55) मज्जू, (56) खिंडारिए, (57) हराड़, (58) प्रभाकर, (59) वासुदेव, (60) पाराशर, (61) मोहना, (62) पनजान, (63) तिवारा, (64) कपाला, (65) भाखड़ी, (66) सोढ़ी, (67) कैजार, (68) संगड़, (69) भारद्वाजी, (70) नागे, (71) मकावर, (72) वशिष्ट, (73) डंगवाल, (74) जालप, (75) त्रिपने, (76) भराते, (77) बंसले, (78) गंगाहर, (79) जोतशी, (80) रिखी अथवा रिशी। (81) मंदार, (82)ब्राह्मी, (83) तेजपाल, (84) पाल, (85) रूपाल, (86) लखनपाल, (87) रतनपाल, (88)शेतपाल, (89) भिंदे, (90) धामी, (91) चानन, (92) रंडेहा, (93) भूटा, (94) राटी, (95) कुंडी, (96) हसधीर, (97) पुंज, (98) सांधी, (99) बहोए, (100) विराड, (101) कलंद, (102) सूरन, (103) सूदन, (104) ओझे, (105) ब्रह्मा-मुकुल, (106) हरिए, (107) गजेसू, (108) भनोट, (109) तिनूनी, (110) जल्ली, (111) टोले, (112) जालप, (113) चिचौट, (114) पाढे अथवा पांढे, (115) मरुद, (116) ललदिए, (117) टोटे, (118) कुसारिट, (119) रमटाल, (120) कपाले, (121) मसोदरे, (122) रतनिए, (123) चंदन, (124) चुरावन, (125) मंधार, (126) मधारे, (127) लकरफार, (128) कुंद, (129) कर्दम, (130) ढांडे, (131)सहजपाल, (132) पभी, (133) राटी, (134) जैतके, (135) दैदरिए, (136) भटारे, (137) काली, (138) जलपोट, (139) मैत्रा, (140) खतरे, (141) लुदरा, (142) व्यास, (143) फलदू, (144) किरार, (145) पुजे, (146) इस्सर, (147) लट्टा, (148) धामी, (149) कल्हन, (150) मदारखब, (151) बेदेसर, (152) सालवाहन, (153) ढांडे, (154) कुरालपाल, (160) कलास, (161) जालप, (162) तिनमानी, (163) तंगनिवते, (164) जलपोट, (165) पट्टू, (166) जसरावा, (167) जयचंद, (168)सनवाल, (169) अग्निहोत्री, (170) अगराफक्का, (171)रुथाडे, (172) भाजी, (173) कुच्ची, (174)सैली, (175) भाम्बी, (176) मेडू, (177) मेहदू, (178) यमये, (179) संगर, (180) सांग, (181) नेहर, (182) चकपालिए, (183) बिजराये, (184) नारद, (185) कुटवाल, (186) कोटपाल, (187) नाभ, (188) नाड, (189)परेंजे, (190) खेटी, (191) आरि, (192) चावहे, (193) बिबडे, (194) बांडू, (195) मच्चू, (196) सुंदार, (197) कराडगे, (198) छिब्बे, (199) साढ़ी, (200) तल्लन (201) कर्दम, (202) झामन, (203) रांगडे, (204) भोग, (205) पांडे, (206) गांडे, (207) पांटे, (208) गांधे, (209) धिंडे, (210) तगाले, (211) दगाले, (212) लहाड़, (213) टाड, (214) काई, (215) लुढ़, (216) गंडार, (217) माहे, (218) सैली, (219) भागी, (220) पांडे, (221) पिपार, और (222) जठी।

(ख) कांगड़ा और उससे सटे पर्वत प्रदेश के सारस्वत ब्राह्मण। ये भी उच्च वर्ग और निम्न वर्ग में बंटे हुए हैं –

उच्च जातियां

(1)ओसदी, (2) पंडित कश्मीरी, (3) सोत्री, (4) वेदवे, (5) नाग, (6) दीक्षित, (7) मिश्री कश्मीरी, (8) मादि हाटू, (9) पंचकर्ण, (10) रैने, (11) कुरुद, (12) आचारिए।

निम्न जातियां

(13) चिथू, (14) पनयालू, (15) दुम्बू, (16) देहाइदू, (17) रुखे, (18) पमबार, (19) गुत्रे, (20) द्याभुदु, (21) मैते (22) प्रोत (पुरोहित) जदतोत्रोतिए, (23) विष्ट प्रोत, (24) पाधे सरोज, (25)पाधे खजूरे, (26) पाधे माहिते, (27) खजूरे, (28) छुतवान, (29) भनवाल, (30) रामबे, (31) मंगरूदिए, (32) खुर्वध, (33) गलवध, (34) डांगमार, (35) चालिवाले।

(ग) दत्तापुर होशियारपुर और उससे सटे प्रदेश के सारस्वत ब्राह्मण। ये भी उच्च वर्ग और निम्न वग्र में बंटे हुए हैं –

उच्च जातियां

(1) डोगरे, (2) सरमाई, (3) दुबे, (4) लखनपाल, (5) पाधे ढोलबलवैया, (6) पाधे घोहासनिए, (7) पाधे दादिए, (8)पाधे खिंदादिया, (9) खजुरिवे।

निम्न जातियां

(10) कपाहाटिए, (11) भारधियाल, (12) चपरोहिए, (13) मकादे, (14) कुताल्लिदिए, (15) सारद, (16) दगादू, (17) वंतादें, (18) मुचले, (19) सम्मोल, (20) धोसे, (21) भटोल, (22) रजोहद, (23) थानिक, (24) पनयाल, (25) छिब्बे, (26) मदोटे, (27) मिसर, (छकोटर), (29 )जलरेये (30) लाहद, (31) सेल, (32) भसुल (33) पंडित, (34) चंधियाल, (35) लाथ, (36) सांद, (37) लइ, (38) गदोतरे, (39) चिर्नोल (40) बधले, (41) श्रीधर, (42) पटडू, (43) जुवाल, (44) मैते, (45) काकलिए, (46) टाक, (47) झोल, (48) भदोए, (49) तांडिक, (50) झुम्मूतियार, (51) आई, (52) मिरात, (53) मुकाति, (54) डलचल्लिए, (55) भटोहिए, (56) त्याहाए, और (57) भटारे।

कश्मीर के सारस्वत ब्राह्मण

कश्मीर के सारस्वतों की दो उप-शाखाएं हैं –
(क) जम्मू, जसरोता और उसके पड़ोस के पर्वतीय प्रदेश के सारस्वत ब्राह्मण उच्च, मध्य और निम्न वर्गों में विभाजित हैं।

उच्च जातियां

(1) अमगोत्रे, (2) थाप्पे, (3) दुबे, (4) सपोलिए पाधे, (5) बड़ियाल, (6) केसर, (7) नाध (8) खजूरे प्रहोत, (9) जामवाल पंडित, (10) वैद्य, (11) लव, (12) छिब्बर, (13) ओलिए, (14) मोहन, (बंभवाल)

मध्यवर्गी जातियां

(16) रैना, (17) सतोत्रे, (18) कतोत्रे, (19) ललोत्रे, (20) भंगोत्रे, (21) सम्नोत्रे, (22) कश्मीर पंडित, (23) पंधोत्रे, (24) विल्हानोच (25) बाडू, (26) कैरनाए पंडित, (27) दनाल पाधे, (28) माहिते, (29) सुघ्रालिए, (30) भाटियाड, (31) पुरोच, (32) अधोत्रे, (33) मिश्र, (34) पाराशर, (35) बवगोत्रे, (36) मंसोत्रे, (37) सुदाथिए।

ALSO READ |   Why Brahmins started worshipping the cow and gave up eating beef - Dr.B.R.Ambedkar View

निम्न जातियां

(38) सूदन, (39) सुखे, (40) भुरे, (41) चंदन, (42) जलोत्रे, (43) नभोत्रे, (44) खदोत्रे, (45) सगदोल, (46) भुरिए, (47) बंगनाछल, (48) रजूलिए, (49) सांगदे, (50) मुंडे, (51) सुरनाचल, (52) लधंजन, (53) जखोत्रे, (54) लखनपाल, (55) गौड़ पुरोहित (56)शशगोत्रे, (57) खनोत्रे, (58) गरोच, (59) मरोत्रे, (60) उपाधे, (61) खिंधाइए पाधे, (62) कलंदरी, (63) जारद, (64) उदिहाल, (65) घोड़े, (66) बस्नोत्रे, (67) बराट, (68) चरगट, (69) लवान्थै, (70) भंरगोल, (71) जरंघल, (72) गुहालिए, (73) धरियांचा, (74) पिंधाड, (75) रजूनिए, (76) बडकुलिवै, (77) श्रीखंडिए, (78) किरपाद, (79) बल्ली, (80) सलुर्न, (81) रतनपाल, (82) बनोत्रे, (83) यंत्रधारी, (84) ददोरिच, (85) भलोच, (86) छछियाले, (87) झंगोत्रे, (88) मगदोल, (89) फौनफान, (90) सरोच, (91) गुद्दे, (92) र्क्लिे, (93) मंसोत्रे, (94) थम्मोत्रे, (95) थन्माथ, (96) ब्रामिए, (97) कुंदन, (98) गोकुलिए गोसाई, (99) चकोत्रे, (100) रोद, (101) बर्गोत्रे, (102) कावदे, (103) मगदियालिए, (104) माथर, (105) महीजिए, (106) ठाकरे पुरोहित (107) गलहल, (108) चाम, (109) रोद, (110) लभोत्रे, (111) रेदाथिए, (112) पाटल, (113) कमानिए, (114) गंधर्गल, (115) पृथ्वीपाल, (116) मधोत्रे, (117) काम्बो, (118) सरमाई, (119) बच्छल, (120) मखोत्रे, (121) जाद, (122) बटियालिए, (123) कुदीदाव, (124) जाम्बे, (125) करन्थिए, (126)सुथादे, (127) सिगाद, (128) गरदिए, (129) माछर, (130) बघोत्रे, (131)सैन्हासन, (132)उत्रियाल, (133) सुहंदिए, (134) झिंधाद, (135) बट्टाल, (136) भैंखरे, (137) बिस्गोत्रे, (138) झालु, (139) दाब्व, (140) भूटा, (141) कठियालू, (142) पलाधू, (143) जखोत्रे, (144) पांगे, (145) सोलहे, (146) सुगुनिए, (147) सन्होच, (148) दुहाल, (149) बांदों, (150) कानूनगो, (151) झावदू, (152)झफादू, (153) कालिए, (154) खफांखो।

(ख) कश्मीर के सारस्वत (कश्मीर के ब्राह्मण सारस्वत हैं या नहीं, इस बारे में मतभेद हैं। कुछ कहते हैं कि वे हैं, कुछ कहते हैं कि वे नहीं हैं।) ब्राह्मणों की सूची इस प्रकार है;

(1) कौल, (2) राजदान, (3) गुर्टू, (4) जुत्सी, (5) दर, (6) त्रकारी, (7) मुझी, (8) मुंशी, (9) बुतल, (10) जावी, (11) बजाज, (12) रेइ, (13) हंडू, (14) दिप्ती, (15) छिछबिल, (16) रुगी, (17) कल्ल, (18) सुम, (19) हंजी, (20) हस्तावली, (21)मट्टू, (22) तिक्कू, (23) गइस, (24) गादी, (25) बरारी, (26) गंज, (27) वांगन, (28) वांगिन, (29) भट्ट, (30) भैरव, (31) मदन, (32) दीन, (33) शर्गल, (34) हक्सर, (35) हक, (36) कक्कड़, (37) छतारी, (38) सांनपुअर, (39) मत्ती, (40) खश, (41) शकधर, (42) वैष्णव, (43) कोतर, (44) काक, (45) कचारी, (46) टोटे, (47)सराफ, (48) गुरह, (49) थांथर, (50) खर, (51) थर, (52) टेंग, (53) सइद, (54) त्रपिर, (55) मुठ, (56) सफाई, (57) भान, (58) वइन, (59) गड़िएल, (60) थपल, (61) नअर, (62) मसालदान, (63) मुश्रान, (64) तुरिक, (65) फोतेदार, (66) खर्रु, (67) करवंगी, (68) बठ्ठ (69) किचलू, (70) छान, (71) मुक्दम, (72) खपिर, (73) बुलक, (74) कार, (75) जलाली, (76) सफाया, (77) बेतफली, (78) हिक, (79) कुकपिर, (80) कअलि, (81) जेअरी, (82) गंज, (83) किम, (84) मुंइड, (85) जंगल, (86) जिंट, (87) राख्युस, (88) बकई, (89) गैरी, (90) गारी, (91) कअलि, (92) पईज, (93) बइंग, (94) साहिब, (95) बेलाब, (96) रेइ, (97) गलीकरप, (98) चन्न, (99) कबाबी, (100) यछ, (101) जालपूरी, (102) नवशहारी, (103) किस, (104) धुसी, (105) गामखिर, (106) ठठल, (107) पिस्त, (108) बदम, (109) त्रसल, (110) नादिर, (111) लडाइगिर, (112) प्यल, (113) कइब, (114) छत्री, (115) बन्टि, (116) वातुलु, (117) खइर, (118) बास, (119) पइट, (120) सबेज, (121) डंड, (122) रावल, (123) मिसिर, (124) सिब्ब, (125) सिंगअर, (126) मिर्ज़, (127) मल, (128) वारिक, (129) जान, (130) लुतिर, (131) पारिम, (132) हइल, (133) नकब, (134) मुंइन, (135) अम्बारदार, (136) बरवल, (137) केंठ, (138) बाली, (139) जंगली, (140) डुल, (141) परव, (142) हरकार, (143) गागर, (144) पंडित, (145) जारी, (146) लांगी, (147) मुक्की, (148) बीही, (149) पडौर, (150) पाडे, (151) जांद, (152) टेंग, (153) टूंड, (154) दराबी, (155) दराल, (156) फम्ब, (157) सज्जोल, (158) बख्शी, (159) उग्र, (160) निचिव, (161) पठान, (162) विचारी, (163) ऊंठ, (164) कुचारी, (165) शाल, (166) बइब, (167) मखानी, (168) लाबिर, (169) खान, (17O) खानकिट, (171) शाह, (172) पीर, (173) खरिद, (174) खइंक, (175) कल्पोश, (176) पिशन, (177) बिशन, (178) बुल, (179) च्युक, (180) चक, (181) रेइ, (182) प्रुइत, (183) पइट, (184) किचिल, (185) कहि, (186) जिजि, (187) किलमाल, (188) सलमान, (189) कदलबुज, (190) कंधारी, (191) बाली, (192) मनाटी, (193) बान्खन, (194) हकीम, (195) गरीब, (196) मंडल, (197) मंझ, (198) शइर, (199) नून, (200) तेली, (201) खलसी, (202) चन्द्र, (203) गदिइर, (204) जरेब, (205) सिहिर, (206) कल्विट, (207) नगरी, (208) मंगुविच, (209) खैबारी, (210) कुअल, (211) कइब, (212) ख्वस, (213) दुर्रानी, (214) तुली, (215) गरीब, (216) गाढी, (217) जती, (218) राक्सिस, (219) हरकार, (220) ग्रट, (221) वागिर, आदि आदि।

सिंघ के सारस्वत

सिंघ के सारस्वतों का उप-विभाजन इस प्रकार है –
(1) शिकारपुरी, (2) बारोवी, (3) रवनजाही, (4) शैतपाल, (5) कुवां चांद, (6) पोखरन।

2 . कान्यकुब्ज ब्राह्मण

कान्यकुब्जों का नाम कन्नौज नगर के नाम पर पड़ा है, जो…. साम्राज्य की राजधानी था। इन लोगों को कन्नौजिए भी कहते हैं। कान्यकुब्ज ब्राह्मणों के दो नाम हैं। एक सरवरिया कहलाते हैं, तो दूसरे कान्यकुब्ज। सरवरिया ब्राह्मणों का नाम प्राचीन नदी सरयू पर पड़ा है, जिसके पूर्व में वे मुख्यतः पाए जाते हैं। वह कन्नौजियों की प्रांतीय शाखा है और अब वे कन्नौजियों से विवाह नहीं करते। सामान्यतः सरवरियों के उप-विभजन वैसे ही हैं, जैसे कि कन्नौजियों में पाए जाते हैं। अतः कन्नौजियों के उप-विभाजन का ब्यौरा काफी होगा। कान्यकुब्ज ब्राह्मणों की दस शाखाएं हैं;:

(1) मिश्र, (2) शुक्ला, (3) तिवारी, (4) दुबे, (5) पाठक, (6) पांडे, (7) उपाध्याय, (8) चौबे, (9) दीक्षित, (10) वाजपेयी।

इनमें से प्रत्येक शाखा की अनेक उप-शाखाएं हैं।

मिश्र

मिश्रों की निम्न उप-शाखाएं है –
(1) मधबनी, (2) चम्पारन, (3) पटलाल या पटलियाल, (4) रतनवाल, (5) बंदोल, (6) मतोल या मातेवाल, (7) सामवेद के कटारिया, (8) वत्स गोत्र के नागरिया, (9) वत्स गोत्र के पयासी, (10) गना, (11) त्योंता या तेवन्ता, (12) मार्जनी, (13) गुर्हा, (14) मर्करा, (15) जिग्न्य, (16) पारायण, (17) पेपरा, (18) अतर्व या अथर्व, (19) हथेपारा, (20) सुगंती, (21) खेटा, (22) ग्रामबासी, (23) बिरहा, (24) कोसी, (25) केतवी, (26) रेसी, (27) भहाजिया, (28) बेलवा, (29) उसरेना, (30) कोडिया, (31) तवकपुरी, (32) जिमालपुरी, (33) श्रृंगारपुरी, (34) सीतापुरी, (35) पुतावहा, (36) सिराजपुरी, (37) भामपुरी, (38) तेरका, (39) दुधागौमी, (40) रम्नापुरी, (41) सुन्हाला।

शुक्ला

शुक्लाओं की निम्न उप-शाखाएं हैं –
(1) दो ग्रामों के खखायिजखोर, (2) दो ग्रामों के मामखोर, (3) तिप्थी, (4) भेदी, (5) बकारूआ, (6) कंजाही, (7) खंडाइल, (8) बेला, (9) बांगे अवस्थी, (10) तेवरसी परभाकर, (11) मेहुलियार, (12) खरबहिया, (13) चंदा, (14) गर्ग, (15) गौतमी, (16) पारस, (17) तारा, (18) बरीखपुरी, (19) करवाया, (20) अजमदगढ़िया, (21) पिचौरा, (22) मसौवा, (23) सोन्थियान्वा, (24) औंकिन, (25) बिर, (26) गोपीनाथ।

ALSO READ |   Twenty-two vows of Dr. B.R. Ambedkar

तिवारी

तिवारियों की निम्न उप-शाखाएं हैं –
(1) लोनाखार, (2) लोनापार, (3) मंजौना, (4) मंगराइच, (5) झुनाडिया, (6) सोहगौरा, (7) तारा, (8) गोरखपुरिया, (9) दौराव, (10) पेंडी, (11) सिरजाम, (12) धतूरा, (13) पनौली, (14) नदौली अथवा तंदौली, (15) बुढ़ियावारी, (16) गुरौली, (17) जोगिया, (18) दीक्षित, (19) सोनौरा, (20) अगोरी, (21) भार्गव, (22) बकिया, (23) कुकुरबरिया, (24) दामा, (25) गोपाल, (26) गोवर्धन, (27) तुके, (28) चत्तू, (29) शिवाली, (30) शखाराज, (31) उमारी, (32) मनोहा, (33) शिवराजपुर, (34) मंधना, (35) सापे, (36) मंडन त्रिवेदी, (37) लाहिरी त्रिवेदी, (38) जेठी त्रिवेदी।

दुबे

दुबे ब्राह्मणों की निम्न उप-शाखाएं हैं –
(1) कंचनी, (2) सिंघव, (3) बेलवा, (4) परवा, (5) करैया, (6) बरगैनिया, (7) पंचनी, (8) लयियाही, (9) गुर्दवन, (10) मेथीवर, (11) ब्रह्मपुरिया, (12) सिंगिलवा, (13) कुचाला, (14) मुंजालव, (15) पालिया, (16) धेगवा, (17) सिसरा, (18) सिनानी, (19) कुदावरिये, (20) कटैया, (21) पनवा।

पाठक

पाठकों की निम्न उप-शाखाएं हैं –
(1) सोनारा, (2) अम्बातरा, (3) पाटखवालिया, (4) दिगावच, (5) भदारी।

पांडे

पांडे ब्राह्मणों की निम्न उप-शाखाएं हैं –
(1) त्रिफला या त्रिफाल, (2) जोरव, (3) मतैन्य, (4) तोरया, (5) नकचौरी, (6) परसिहा, (7) सहन्कौल, (8) बरहादिया, (9) गेगा, (10) खोरिया, (11) पिचौरा, (12) पिचौरा पयासी, (13) जुतीय या जात्य, (14) इतार अथवा इंतार, (15) बेश्तोल, अथवा वेश्तावला, (16) चारपंद, (17) सिला, (18) अधुर्ज, (19) मदारिया, (20) मजगाम, (21) दिलीपापर, (22) पह्यत्या, (23) नगव, (24) तालव, (25) जम्बू।

उपाध्याय

उपाध्यायों की दस उप शाखाएं हैं –
(1) हारैण्य या हिरण्य, (2) देवरैण्य, (3) खोरिया, (4) जैथिया, (5) दाहेन्द्र, (6) गौरात, (7) रानीसरप, (8) लिजामाबाद, (दुणोलिया), (10) बसगवा।

चौबे

चौबों की प्रमुख उप-शाखाएं हैं;:
(1) नयापरी, (2) रारगदी, (3) चोखर, (4) कात्या, (5) रामपुरा, (6) पालिया, (7) हरदासपुरा, (8) तिबइया, (9) जामदुवा, (10) गार्गेय।

दीक्षित

दीक्षितों की निम्न उप-शाखाएं हैं –
(1) देवगोम, (2) ककारी, (3) नैवरशिया, (4) अंतैर, (5) सुकंत, (6) चौधरी, (7) जुजातवतिया।

वाजपेयी

वाजपेयी ब्राह्मणों की निम्न उप-शाखाएं हैं –
(1) ऊपर, और (2) नीचे।

उपर्युक्त कान्यकुब्जों की शाखाओं तथा उप-शाखाओं के अलावा ऐसे कान्यकुब्ज हैं, जिन्हें नीचा माना जाता है। अतः वे मुख्य शाखाओं और उप-शाखाओं से अलग-थलग हो गए हैं। उनमें निम्नलिखित हैं –
(1) सामदारिया, (2) तिर्गूवती, (3) भौरहा, (4) कबीसा, (5) केवती, (6) चन्द्रावल, (7) कुसुमभिया, (8) बिसोहिया, (9) कनहाली, (10) खजूवई, (11) किसिरमान, (12) पैहतिया, (13) मसोनद, (14) बिजारा, (15) अंसनौरा।

3 . गौंड़ ब्राह्मण

गौड़ ब्राह्मणों का नाम प्रांत पर पड़ा है। यह प्रांत अब (भग्नावस्था में) गौड़ नगर है, जो चिरकाल तक बिहार और बंगाल की राजधानी (अंगों, बंगों की राजधानी) रहा है। गौड़ ब्राह्मणों की उप-शाखाएं काफी संख्या में हैं।
उनमें से सर्वाधिक इस प्रकार हैं –

(1) गौड़ अथवा केवल गोड़, (2) अदि-गौड़, (3) शक्लावाला आदि-गौड़, (4) ओझा, (5) सांध्य गौड़, (6) चिंगला, (7) खांडेवाला, (8) दायमिया, (9) श्री-गौड़, (10) तम्बोली गौड़, (11) आदि-श्री गौड़, (12) गुर्जर गौड़, (13) टेक बड़ा गौड़, (14) चामर गौड़, (15) हरियाणा गौड़, (16) किरतनिया गौड़, (17) सुकुल गौड़।

4 . उत्कल ब्राह्मण

उत्कल उड़ीसा का प्राचीन नाम है। उत्कल ब्राह्मणों का अर्थ है, उड़ीसा के ब्राह्मण। उनका विभाजन इस प्रकार हैं –

(1) शशानी ब्राह्मण, (2) श्रोत्रिय ब्राह्मण, (3) पांडा ब्राह्मण, (4) घाटिया ब्राह्मण, (5) महास्थान ब्राह्मण, (6) कलिंग ब्राह्मण।

शशानी ब्राह्मणों की चार उप-शाखाएं हैं –

(1) सावंत, (2) मिश्रा, (3) नंदा, (4) पाटे, (5) कारा, (6) आचार्य, (7) सम्पस्ती, (8) बेदी, (9) सेनापती, (10) पर्णाग्रही, (11) निशांक, (12) रैनपती।

श्रोत्रिय ब्राह्मणों की चार उप-शाखाएं हैं –

(1) श्रोत्रिय, (2) सोनारबनी, (3) तेलि, (4) अग्रबक्स।

5 . मैथिल ब्राह्मण

मैथिल ब्राह्मणों का नाम मिथिला पर पड़ा है। मिथिला भारत का प्राचीन प्रदेश है। उसमें तिरहुत, सारन, पूर्णिया के आधुनिक जिलों का एक बड़ा भाग और नेपाल से सटे प्रदेशों के भाग भी शामिल हैं।

मैथिल ब्राह्मणों की निम्नलिखित उप-शाखाएं हैं –

(1) ओझा, (2) ठाकुर, (3) मिश्रा, (4) पुरा, (5) श्रोत्रिय, (6) भूमिहार।

मिश्राओं की निम्नलिखित उप-शाखाएं हैं –

(1) चंधारी, (2) राय, (3) परिहस्त, (4) खान, (5) कुमर।

अन्य ब्राह्मण

पंच-द्रविड उन ब्राह्मणों का सामान्य नाम है, जो विंध्य पर्वतमाला के नीचे रहते हैं और पंच-गौड़ उन ब्राह्मणों का सामान्य नाम है, जो विंध्य पर्वतमाला के ऊपर रहते हें। या यूं कहिए कि उत्तर के ब्राह्मणों का नाम पंच-गौड़ है और दक्षिण के ब्राह्मणों का नाम पंच-द्रविड़ है, लेकिन ध्यान देने योग्य बात है कि उत्तर की बिरादरी के ब्राह्मणों की पांच शाखाएं उत्तर या दक्षिण भारत में रहने वाले ब्राह्मणों की सभी शाखाओं का प्रतिनिधित्व नहीं करती। विषय को पूर्णता देने के लिए यह जरूरी है कि न केवल उनका उल्लेख किया जाए, बल्कि उनकी उप-शाखाओं को भी दर्ज किया जाए।

दक्षिण भारत के अन्य ब्राह्मण

इस श्रेणी में निम्नलिखित आते हैं –

(1) कोंकणी ब्राह्मण (कोंकण ब्राह्मण महाराष्ट्र कोंकणस्थों से अलग हैं। कोंकणी ब्राह्मण गोआ के पुर्तुगाली प्रदेश के हैं), (2) हुबु (वे कारवाड़ के हैं), (3) गौकर्ण, (4) हाविका (वे तेल्लिवेरी के आसपास पाए जाते हैं), (5) तुलवा (वे उडिपी के आसपास पाए जाते हैं), (6) अम्मा कोडग (वे कुर्ग में पाए जाते हैं), (7) नम्बूद्री।

नम्बूद्री ब्राह्मण मलाबार में रहने वाले ब्राह्मणों के प्रमुख समूह हैं। नम्बूद्रियों के अलावा ब्राह्मणों की अन्य उप-शाखाएं भी हैं, वे हैं –

(1) पाट्टीस, (2) मुट्टाडूस, (3) फ्लीडस, (4) रामनाड-रिट परसहास, (5) पट्टारास, (6) अम्बालवासीस।

अन्य राजपूत ब्राह्मण

जिन राजपूत ब्राह्मणों का उल्लेख गुर्जर ब्राह्मणों की सूची में नहीं किया गया है, वे हैं –

(1) श्रीमाली ब्राह्मण, (2) सचौदा ब्राह्मण, (3) पल्लीवलार ब्राह्मण, (4) नंदन ब्राह्मण, (5) पुष्कर ब्राह्मण, (6) पोखर सेवक ब्राह्मण, (7) मेदातवाला ब्राह्मण, (8) पारिख ब्राह्मण, (9) लावना ब्राह्मण, (10) डकोत ब्राह्मण, (11) गरूडिया ब्राह्मण, (12) अचारज ब्राह्मण, (13) बूड़ा ब्राह्मण, (14) कपिदास, (15) दाहिमा, (16) खंडेलवाल, (17) दिवास, (18) सिकवादास, (19) चमातवाल, (20) मरू, (21) श्रीवंत, (22) अभीर, (23) भारतन, (24) सनकदास, (25) वागदी, (26) मेवादास, (27) राजगुरु, (28) भाट, (29) चारण।

Support Us                

Dear reader, this article is free to read and it will remain free – but it isn’t free to produce. We believe in speaking the truth and bringing out the caste realities which are kept hidden by mainstream media. If you want to support the work that goes behind publishing high-quality ambedkarite content. Please contribute whatever you can afford.